भारतीय संविधान का सार
- आजादी के बाद भारत के सामने तीन प्रमुख समस्या थी (1) एकता स्थापित करने की (2) शासन संचालन की (3) विकास की विकास की
- भारत का संविधान बनाने में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा।
- भारत का संविधान बनाने में कुल खर्च ₹64 लाख का आया।
- भारत के संविधान को लिखने में लगभग 100 देशों के सविधानों का अवलोकन किया।
- लगभग 3 वर्ष के समय के दौरान 166 प्रमुख बैठक हुई।
- 26 नवंबर 1949 को देश का संविधान बनकर तैयार हुआ।
- संविधान का अर्थ देश के शासन चलाने की कुंजी है।
- भारतीय संविधान में मान्यता प्राप्त भाषा 22 है।
- भारतीय संविधान में सभी शक्तियां देश की जनता को समर्पित किया है।
- भारत संप्रभु गणतंत्र आत्मक देश 26 जनवरी 1950 में बना।
- 1947 से 1950 तक देश का शासन प्रथम गवर्नर चक्रवर्ती राज गोपालाचार्य को बनाकर राज चलाया गया।
- भारत के संविधान में लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना की गई।
- यह विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है।
- 26 जनवरी 1930 को लाहौर अधिवेशन के समय नेहरू जी के द्वारा रावी नदी के तट पर तिरंगा पहना कर आजादी का जसन मनाया गया उस दिन को याद करने के लिए भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया।
- भारत के संविधान निर्माताओं ने देश की ऐतिहासिक, सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर संविधान का निर्माण किया है।
- भारत का संविधान लोकप्रिय संप्रभुता पर आधारित संविधान है।
- सविधान किसी भी देश की शासन संचालन की एक कुंजी है।
भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं
1. संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न संविधान :-
भारत का संविधान भारतीय जनता द्वारा निर्मित है। इस संविधान द्वारा अंतिम शक्ति भारतीय जनता को प्रदान की गई है इसकी प्रस्तावना में कहा गया है हम भारत के लोग इस संविधान को अंगीकृत अधिनियम व आत्मा से स्वीकार करते हैं अतः इसे किसी भी अन्य शब्द द्वारा थोपा नहीं गया है।
2. प्रस्तावना :-
डॉक्टर के. एम. मुंशी ने इसे संविधान की राजनीतिक कुंडली कहा है इसमें हम भारत के लोग से तात्पर्य है कि अंतिम प्रभुसत्ता भारतीय जनता में निहित है यह संविधान की मुख्य विशेषता है।
3. विश्व का सबसे बड़ा सविधान :-
अमेरिका के संविधान में कुल अनुच्छेद 7 हैं कनाडा (144) है ऑस्ट्रेलिया में (128) है दक्षिण अफ्रीका में (153) है जबकि भारत के संविधान में 395 अनुच्छेद, 22 भाग, 12 अनुसूचियां, 5 परिशिष्ट है संविधान की इस विशालता को लेकर हरिविष्णु कामथ ने कहा था कि ” हमें इस बात का गर्व है कि हमारा संविधान विश्व का सबसे विशाल संविधान है।
नोट:– विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान भारत का है।
4. लिखित एवं निर्मित संविधान:-
भारतीय संविधान को संविधान सभा द्वारा (2 वर्ष 11 मई 18 दिन) तैयार किया गया था इतना विस्तृत होने के बावजूद इसे देश की प्रस्तुतियों व आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए रखते हुए इसमें संशोधन करने की प्रक्रिया दी गई है अब तक इसमें 101 बार संशोधन हो चुके हैं।
NOTE :- 101 वां संविधान संशोधन GST को लेकर सितंबर 2016 में किया गया था।
5. संसदीय शासन व्यवस्था
डॉक्टर अंबेडकर के अनुसार संसद प्रणाली में संघात्मक प्रणाली में शासन के उतरदायिकता मूल्यांकन एक निश्चित समय बाद होता है। राष्ट्रपति का पद गरिमा व प्रतिष्ठा का होता है जबकि वास्तविक मंत्रिमंडल मंत्रिमंडल में निहित होती है राज्यों में राज्यपाल संवैधानिक प्रमुख होता है लेकिन वास्तविक शक्ति मुख्यमंत्री में निहित होती है।
6. मौलिक अधिकार व कर्तव्य :-
संविधान में अनुच्छेद 12 से 35 तक मूल अधिकारों का वर्णन किया गया है जिनकी संख्या वर्तमान में 7 थी लेकिन 44 वां संविधान संशोधन करके संपत्ति के मौलिक अधिकार को हटा दिया गया अब इसकी संख्या 6 रह गई। 86 वां संविधान संशोधन (दिसंबर 2002) करके 4 अप्रैल 2010 से 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए निशुल्क शिक्षा का अधिकार मूल कर्तव्य में जोड़ दिया जिसके बाद वर्तमान में मूल कर्तव्य की संख्या 11 है (42वां संविधान संशोधन 1976 द्वारा नागरिकों के 10 मूल कर्तव्य निर्धारित किए गए हैं।)
7. राज्य के नीति निर्देशक तत्व :-
इन तत्वों को आयरलैंड के संविधान से लिया गया है जो हमारे संविधान के भाग- 4 क में निर्देशक किए गए हैं यह वे तत्व विचार है जो भविष्य में बनने वाली सरकारों के समक्ष पथ प्रदर्शक की भूमिका का निर्वहन करते हैं इसके क्रियान्वयन के लिए सरकार को बाध्य नहीं किया जा सकता यह न्याय में बाध्य योग नहीं है।
8. समाजवादी राज्य :-
42वां संविधान संशोधन 1976 के द्वारा भारत को समाजवादी गणराज्य घोषित किया गया है ये शब्द भारतीय राज्य व्यवस्था को एक नई दिशा दिए जाने की भावना को ध्यान में रखकर जोड़ा गया है।
9. व्यस्क मताधिकार :-
भारत का नागरिक जिसकी उम्र 18 वर्ष हो व वोट देने का अधिकार हो उसे व्यस्क मताधिकार कहते हैं पहले संविधान में वोट देने की उम्र 21 वर्ष थी जिसे घटाकर (61 वां संविधान संशोधन 1989) 18 वर्ष कर दी गई।
10. पंथनिरपेक्ष राज्य :-
संविधान के अनुच्छेद 25 में संविधान के अनुच्छेद 25 में प्रत्येक नागरिक को धर्म के क्षेत्र में स्वतंत्रता प्रदान की गई है और 42वां संविधान संशोधन करके पंथनिरपेक्ष शब्द को जोड़ा गया है जिसका अर्थ है राज्य न तो धार्मिक है न अधार्मिक है न धर्म विरोधी है अर्थात प्रत्येक व्यक्ति को अपना धर्म चुनने व उसका पालन करने का अधिकार है।
11 .विलक्षण दस्तावेज :-
संविधान निर्माताओं की बुद्धिमता व दूरदृष्टि का प्रमाण है निर्माताओं कलाओ की सोच जिन्होंने संविधान में जनता हमारा संविधान एक विलक्षण दस्तावेज है जिसे दक्षिण अफ्रीका ने प्रतिमान के रूप में स्वीकार किया है और अपने देश का संविधान बनाने में काम लिया है।
12. एकात्मक व संघात्मक तत्वों का अद्भुत सहयोग :-
भारत एक संघात्मक राज्य है भारत राज्यों का एक होगा भारत के संविधान में देश की एकता बनाने हेतु केंद्र सरकार+ राज सरकार राज्य सरकार दोनों का संघ दिया गया है राष्ट्रपति द्वारा राज्यपालों की नियुक्ति राज्य की केंद्र पर आर्थिक निर्भरता केंद्र को मजबूती प्रदान करती हैं कोई भी राज्य अपना अलग संविधान नहीं रख सकता केवल एक ही केवल एक ही संविधान केंद्र व राज्य दोनों पर लागू होता है।
13. स्वतंत्र न्यायपालिका:-
प्रजातंत्र की रक्षा हेतु तथा मौलिक अधिकार की सुरक्षा के लिए भारतीय संविधान में स्वतंत्र न्यायपालिका का गठन किया गया है अनुच्छेद 32 के अंतर्गत पुनरावलोकन बंदी प्रत्यक्षीकरण अधिकार प्रथा जैसे लेखों को जारी किया जा सकता है न्यायिक स्वतंत्रता के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए ये सभी व्यवस्था की गई है। भारत के राष्ट्रपति द्वारा मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाती है संसद के महाभियोग द्वारा हटाया जा सकता है।
14. कठोरता व लचीलेपन का मिश्रण :-
भारत के संविधान में अनुच्छेद 368 के तहत कठोरता (USA) लचीला (ब्रिटेन) से दोनों का मिश्रण भारतीय संविधान में रखा गया है जिससे संशोधन करने की तीन विधियां होती है-
- संविधान के उच्च भागों में संसद के दोनों सदनों(लोकसभा+ राज्यसभा) के साधारण बहुमत से संशोधन दिया जाता है।
- कुछ विषयों में संसद के दोनों सदनों के पूर्ण बहुमत व उपस्थित सदस्यों के दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता रहती है।
- कुछ विषयों पर संशोधन हेतु संसद के दोनों सदनों के अलावा कम से कम आधे राज्यों के विधानसभाओं का समर्थन आवश्यक है।
संविधान कि इन तीन विधियों से स्पष्ट है कि संविधान संशोधन के लिए कठोरता व लचीले का मिश्रण किया गया है।
NOTE :- डॉक्टर हवीयर के अनुसार :- भारतीय सविधान अधिक कठोर तथा अधिक लचीले के मध्य एक अच्छा संतुलित स्थापित करता है।
15. न्यायिक पुनरावलोकन व संसदीय संप्रभुता का समन्वय :-
भारतीय संविधान में दोनों के मध्य मार्ग को अपनाया गया है हमारे संविधान में संसद को सर्वोच्च बनाया गया है तथा उसको नियंत्रित करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय को संविधान की व्यवस्था करने का अधिकार प्रदान किया गया है इसके माध्यम से न्यायलय, कार्यपालिका के उन आदेशों संसद द्वारा निर्मित कानून को सर्वोच्च न्यायालय अवैध घोषित कर सकता है जो संविधान के अनुरोध ने हो।
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16. विश्व शांति का समर्थक :-
अनुच्छेद 51 के तहत राज्य का ये कर्तव्य है कि व अंतर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा तथा राष्ट्रों के बीच न्याय पूर्ण सम्मानजनक संबंधों की स्थापना करें भारत न तो किसी देश के मामले में हस्तक्षेप करेगा न ही किसी देश को अपने देश के मामले में हस्तक्षेप करने देगा अतः हमारा संविधान वसुधैव कुटुम्बकम को अपनाता है।
17. आपातकालीन उपबंध :-
संविधान के भाग 18 में आपातकालीन नियमों का उल्लेख किया गया है
- अनुच्छेद 352 :- बाहरी आक्रमण सशस्त्र विद्रोह युद्ध जैसे स्थिति हो तो आपातकाल लग सकता है।
- अनुच्छेद 356 :- जब राज्य में संवैधानिक तंत्र असफल हो जाए तब उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है।
- अनुच्छेद 360 :- वित्तीय संकट उत्पन्न होने पर संपूर्ण देश या देश के किसी भाग में वित्तीय आपातकाल लगा दिया जाता है इसमें शासन राष्ट्रपति के अधीन संचालित होता है।
18. इकहरी नागरिकता :-
भारतीय संविधान में संघात्मक (केंद्र+ राज्य) शासन की व्यवस्था की गई है भारतीय संविधान निर्माताओं का विचार था कि दोहरी नागरिकता भारत की एकता में बाधक है इसलिए संघ और राज्य की स्थापना करते हुए एकल नागरिकता के आदर्श को ही अपनाया गया है।
NOTE :- दोहरी नागरिकता संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित है।
19. लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना का आदर्श :-
हमारे संविधान में लोगों के कल्याण हेतु केंद्र व राज्यों सरकारों को निर्देशित किया गया है कि सभी नागरिकों को पौष्टिक भोजन, आवास, वस्त्र, शिक्षा, स्वास्थ्य की सुविधा उपलब्ध करवाये नागरिकों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाये जहां तक संभव हो आर्थिक समानता की स्थापना की जाये।
20. अल्पसंख्यक एवं पिछड़े वर्गों के कल्याण की विशेष व्यवस्था :-
भारतीय संविधान में अल्पसंख्यक SC ST तथा पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए धार्मिक भाषा सांस्कृतिक हितों की रक्षा हेतु विशेष व्यवस्था की गई है तथा अनुच्छेद 330 व 332 के तहत लोकसभा+ विधानसभा में आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
लोकसभा में ST 47%, SC 84%
विधानसभा में ST 25%, SC 34%
ये आरक्षण व्यवस्था 25 जनवरी 1960 तक के लिए की गई थी जो संशोधन करके 10-10 वर्षों के लिए बढ़ाए गए हैं OBC अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण 1993 में दिया गया था।
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