राष्ट्रपति एवं राष्ट्रपति की शक्तियां व कार्य
- संसद का तीसरा अंग है।
- संसदीय प्रणाली जापान, जर्मनी, इटली, ब्रिटेन आदि देशों में पाई जाती है।
- भारत में संसदीय प्रणाली की स्थापना की गई है जिसमें कार्यपालिका का औपचारिक प्रमुख राष्ट्रपति होता है।
- राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक होता है, उसका पद प्रतिष्ठा और प्रतिष्ठा का माना जाता है।
- संविधान के अनुच्छेद 52 में राष्ट्रपति के पद का प्रावधान है।
- अनुच्छेद 53 के अनुसार संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित है।
- शासन की समस्त शक्तियों का केंद्र राष्ट्रपति होता है।
राष्ट्रपति का निर्वाचन :-
अनुच्छेद 54 और 55 में राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया निर्धारित की गई है। राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाएगा जिसमें राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य, विधायक और लोकसभा के सदस्य और राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य, सांसद, जो सीधे चुनाव में भाग लेते हैं।
यदि राष्ट्रपति को डाले गए कुल मतों के आधे से एक अधिक मत प्राप्त होते हैं, तो इसे न्यूनतम कोटा कहा जाता है।
अनुच्छेद 61 के अनुसार राष्ट्रपति को महाभियोग द्वारा हटाया जा सकता है, इसकी सूचना 14 दिन पहले दी जाएगी, इसके लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है।
राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है और वह अपना इस्तीफा उपराष्ट्रपति को देता है, राष्ट्रपति को भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा शपथ दिलाई जाती है। यदि किसी कारण से राष्ट्रपति का पद रिक्त हो जाता है तो उसे छह माह के भीतर भर दिया जाता है।
नोट:- 6 माह के भीतर के भीतर नवनिर्वाचित राष्ट्रपति शेष अवधि के लिए नहीं बल्कि 5 वर्ष के लिए निर्वाचित होता है
राष्ट्रपति बनने की योग्यता :-
- वह भारत का नागरिक है।
- उसकी न्यूनतम आयु 35 वर्ष होनी चाहिए।
- किसी भी सरकारी पद पर काम न करें।
- उसे लोकसभा का सदस्य बनने के योग्य होना चाहिए।
भारत का प्रथम राष्ट्रपति श्री राजेन्द्र प्रसाद थे जो लगातार 2 बार रहे थे तथा भारत का वर्तमान राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द है।
वेतनमान व आवास तथा निवास स्थान :-
- सन 2002 से राष्ट्रपति का मासिक वेतन 5 लाख रुपए है।
- राष्ट्रपति बनने के बाद उसके विरुद्ध कोई मुकदमा दर्ज नहीं हो सकता।
- राष्ट्रपति को सरकारी आवास पेंशन आजीवन मिलते रहेंगे।
- राष्ट्रपति भवन उनका औपचारिक आवास है :-
- रायसीना हिल्स दिल्ली में स्थित है
- हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के निकट छरबरा में (ग्रीष्मकालीन निवास) स्थित है
- आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद में राष्ट्रपति निलयम में स्थित है
राष्ट्रपति की शक्ति व कार्य:-
राष्ट्रपति की शक्ति को दो भागों में बांटा जाता है:-
- सामान्य कालीन शक्ति
- आपातकालीन शक्ति
सामान्य कालीन शक्तियां:-
- कार्यपालिका शक्ति:- राष्ट्रपति भारत की कार्यपालिका का संवैधानिक प्रमुख होता है संघ का शासन राष्ट्रपति के नाम से किया जाता है। प्रधानमंत्री, अन्य मंत्री, मुख्य न्यायाधीश, राज्यपाल, चुनाव आयुक्त, वित्त आयोग इन सब की नियुक्ति करता है। अनुच्छेद 72 के अनुसार राष्ट्रपति किसी व्यक्ति के दण्ड का समाधान कर सकता है। अनुच्छेद 78 के अनुसार प्रधानमंत्री का यह कर्तव्य है कि वह राष्ट्रपति द्वारा मांगी गई सभी सूचनाएं उसे प्रदान करें
- विधायी शक्ति:- संसदीय व्यवस्था होने के कारण राष्ट्रपति कार्यपालिका का संवैधानिक होने के साथ-साथ संसद का भी अंग होता है इस नाते वह अनेक कार्य करता है जिन्हें राष्ट्रपति की विधायी कार्य कहा जाता है। वह संसद का सत्र बुलाता है उसका सत्रावसान करता है। समय से पहले लोकसभा को भंग कर सकता है। राज्यसभा में 12 व लोकसभा में 2 सदस्यों को मनोनीत करता है। अनुच्छेद 111 के अनुसार कोई भी विधेयक (कानून) जब तक कानून नहीं बनता जब तक उस पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर नहीं हो जाएं। अनुच्छेद 123 के अनुसार संसद के पुनः समवेत होने पर उसके सामने विधेयक रखा जाएगा जब उस पर कोई कानूनी कार्यवाही नहीं होगी तब अध्यादेश समाप्त माना जाता है
- वित्तीय शक्ति :- अनुच्छेद 112 के तहत राष्ट्रपति संसद से संबंधित वार्षिक आय व्यय का विवरण प्रस्तुत करता है। अनुच्छेद 113 के तहत बिना राष्ट्रपति की सिफारिश के संसद से किसी प्रकार की धन की मांग नहीं की जा सकती। अनुच्छेद 117 (1) में वित्त से संबंधित कोई विधेयक बिना राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति के संसद में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता
- न्यायिक शक्ति :- अनुच्छेद 72 के अनुसार किसी सजा पाए हुए व्यक्ति को क्षमा दान दे सकता है। मृत्युदंड को समाप्त कर सकता है आजीवन कारावास में बदल सकता हैं।
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आपातकालीन शक्तियां :-
- राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352):- यदि राष्ट्रपति को यह समाधान हो जाता है की गंभीर आपात विद्यमान है (युद्ध, बाहरी आक्रमण या आंतरिक अशांति) है तो अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रपति आपातकाल की घोषणा कर सकता है। भारत में अब तक तीन बार राष्ट्रीय आपातकाल लगाया जा चुका है।
- राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता (अनुच्छेद 356):- यदि राष्ट्रपति को राज्य के राज्यपाल अथवा अन्य किसी माध्यम से यह ज्ञात हो जाये की ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें उस राज्य का शासन संविधान के अनुसार नहीं चलाया जा सकता तब राष्ट्रपति उस राज्य की मंत्री परिषद को बर्खास्त करता है अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रीय शासन लागू करता है Note:- राष्ट्रपति शासन के बाद राज्य की संपूर्ण संपत्ति राज्यपाल के अधीन हो जाती हैं। भारत में सबसे अधिक बार राष्ट्रपति शासन पंजाब राज्य में लगा है।
- वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360) :- यदि राष्ट्रपति को यह विश्वास हो जाता है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिससे भारत का वित्तीय स्थायित्व संकट में है तब राष्ट्रपति अनुच्छेद 360 के तहत देश में वित्तीय आपातकाल लगा सकता है। Note:- देश में अब तक एक भी बार वित्तीय आपातकाल लागू करने की आवश्यकता नहीं पड़ी है।
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